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उजाले की गवाही हौसले की मुट्ठी में...!!

Updated: May 14, 2021



हिम्मत हर रोज़ टूटती है, कभी -कभी दिन में कई बार टूटती है,

फिर कभी इससे तो कभी उससे

हिम्मत उधार लेके गुजारा कर लिया जाता है।


और आज की उधारी, इनके नाम...


शुक्रिया, यह आज फिर से याद दिलाने के लिए कि जो हम जूझ रहे हैं, वो आज किसके लिए...

डिगे हुए हौसले से तुमको कल जीने की मिसाल कैसे दे पाते,

इसलिए तो आज यह लिख रहे हैं, खुद को अपने उस जज़्बे की याद दिलाने के लिए।


कुछ अपने पीछे छूट गए, तो आज इत्तेफ़ाक से कई नए दोस्त बन गए

वो जीना सिखा गए थे, और आज इनसे उस जीवन का उद्देश पा गए।


रात काली स्याह है.. लेकिन सवेरे के उजाले की गवाही हौसले की मुट्ठी में छिपी है... मिटी नहीं!!


(सितंबर, २०२०)






कहानी कैसे बनती-संवरती है...ख़ुदा जाने, हमें तो बस बेफ़िक्री और बे-संकोच जिज्ञासा की राह भर पता है...


(व्याएस ऑफ़ स्लम, नोएडा के बच्चों के साथ)



प्यार की ख़ुशी मिल जाए

कोमल कोंपलों को तूफ़ानों से बचा लिया जाए

कोंपलें क्या गुल खिलाएंगी कौन जाने...!!!


(सितंबर, २००२)

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